November 21, 2024

Article 370 : supreme court on scrapping of jammu & kashmir

supreme court on scrapping of jammu & kashmir

article 370 को एप्रोगेटिंग करना उसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है जिसका लंबे समय से इंतजार चल रहा था और यहां पर आप देख सकते हो सुप्रीम कोर्ट का होल्ड्स वैलिडिटी आफ प्रेसीडेंशियल ऑर्डर एप्रोगेटिंग article 370 ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन देखने में तो यह सिंपल सा लग रहा है कि यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे निर्णय को सही कराया लेकिन इसके अंदर बहुत सी ऐसी चीज है जिसके बारे में आपको जानना जरूरी है मैं आपको हिस्टॉरिकल पर्सपेक्टिव से क्या हुआ अभी क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को भी निर्देश दिया है कि सितंबर 2024 तक इलेक्शंस वहां पर होने चाहिए तो बहुत ही ऐसी चीज है इस पूरे जजमेंट पर तीन अलग-अलग जजमेंट आए हैं सब कुछ मैं आपको डिटेल से बताऊंगा चलिए आगे बढ़ते हैं

चलिए शुरुआत करते हैं और सबसे पहले यह देखते हैं कि एक्जेक्टली हुआ क्या मैं आपको बता दूं सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच जो है article 370 को लेकर सुनवाई कर रही थी और यहां पर आप देख सकते हो यहां पर जो इवेंट है उसके अंदर सबसे पहले तो जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है चंद्रपुर की वह आपको देखने को मिलेंगे इसके अलावा जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस बिहार जस्टिस संजय किशन कॉल और जस्टिस संजीव खन्ना मैं आपको बता दूं article 370 को लेकर तो लंबे समय से बात चल रही थी मतलब की 2019 में हम सबको याद होगा फिफ्थ अगस्त और हर साल जब भी फिफ्थ आफ अगस्त आता है कुछ ना कुछ गैस लगाए जाते हैं कि क्या सरकार कुछ नया करने वाली है तो फिफ्थ अगस्त 2019 को जो भी कुछ हुआ उसको लेकर 4 साल तक कोई भी सुनवाई नहीं होती फाइनली क्या होता है कि अभी रिसेंटली जो है सरकार जो सुप्रीम कोर्ट है उसने उसको लेकर सुनवाई की और जजमेंट प्रोनाउंस किया गया और आप देख सकते हो यहां पर जो पांच जड़ों की बेंच है उन्होंने तीन जजमेंट सुनाएं हैं देखो तीन जजमेंट किसका एक तो सेपरेट जजमेंटल है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ जी का इसके अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बी आर गवई का एक जजमेंट और जस्टिस संजय कॉल और जस्टिस संजीव खन्ना का तीसरा जजमेंट लेकिन इसमें एक चीज ध्यान रखना है ये तीन जजमेंट बोलने के लिए अलग-अलग है लेकिन इनका जो मकसद है वह एक ही है मतलब कि यह जो जजमेंटल है जो कॉन्करिंग इन नेचर है मतलब यह सभी जजमेंट आपस में सहमति जताते हैं बस थोड़ी बहुत अलग-अलग चीज हैं |

लेकिन यहां पर आप देख सकते हो की ओवरऑल जजमेंट का में पार्ट यही है कि जो कांस्टीट्यूशनल ऑर्डर था वैलिडिटी ऑफ़ कांस्टीट्यूशनल ऑर्डर की क्या आर्टिकल 370 का कोई वजूद नहीं रहेगा इसको लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि यह जो यह जो फैसला है सरकार का प्रेसिडेंट का इसको uphold किया जा रहा है लेकिन इसके साथ-साथ यहां पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपने जजमेंट में यह भी कहा कि यूनियन गवर्नमेंट जो है

जिस तरीके से जम्मू कश्मीर राज्य को UT में कन्वर्ट की है इसको लेकर एक प्रोडक्ट डिस्कशन होना चाहिए होना चाहिए जो कि मैं आपसे और डिसकस करूंगा आगे में आपको पहले ले जाता हूं ताकि जो पूरा मुद्दा है क्या हो रहा था पहले किस तरह से किया की गई वह आपको अच्छे से और समझ में आ जाए क्योंकि लंबा समय हो चुका है लोग भूल भी जाएंगे सबसे पहले तो इस आर्टिकल 370 शॉर्ट में मैं आपको बता देता हूं article 370 एक तरह से जो जम्मू कश्मीर पहले राज्य हुआ करता था उसको एक स्पेशल स्टेटस देता था हमारे भारत के अंदर मतलब भारत में बाकी भी राज्य हैं लेकिन जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य था जिसको थोड़ा स्पेशल स्टेटस मिला हुआ था और आपको पता ही होगा कि आर्टिकल 370 बेसिकली क्या हुआ था 17th का अक्टूबर 1949 को हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के अंदर इंसर्ट कराया गया था ताकि जम्मू कश्मीर को स्पेशल प्लेस दिया जा सके इसमें क्या होता था कि पार्लियामेंट जो भी यहां पर कानून बनाती है तो वह कानून तो आप सबको पता है पूरे देश के अंदर लागू लेकिन वह कानून जम्मू कश्मीर में लागू होगा कि नहीं वह अल्टीमेटली डिसाइड किया जाता था उसे

जम्मू कश्मीर सरकार के द्वारा वाह की जो लेजिसलेटिव असेंबली है उनके द्वारा इनफैक्ट आपको मैं बता दूं कि कुछ ऐसे सब्जेक्ट जैसे की मां को आपको याद होगा ना जब भारत पाकिस्तान का war हुआ था 1947 में जस्ट आजादी के बाद तो उसे समय इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन साइन कराया गया था उसे समय के जो राजा है राजा हरि सिंह और भारत सरकार के बीच में तो उसमें यह चीज कही गई थी कि कुछ जो चीज कुछ जो मैटर से जैसे कि फॉरेन पॉलिसी वाला मैटर हो गया कम्युनिकेशन हो गया वह सारी चीजों में जब भी पार्लियामेंट यहां पर कोई कानून बनाएगी उसके लिए भारत सरकार को कोई परमिशन नहीं लेना है जम्मू कश्मीर से उसमें वह ऑटोमेटेकली जम्मू कश्मीर के ऊपर लाभ हो जाएगा बस कुछ ही ऐसी चीज थी लेकिन बाकी के जो मैटर्स थे मन को कोई कोटा अगर दिया जाता है एससी एसटी को एससी एसटी को या फिर कोई और दूसरा कानून आता है कोई कोई स्कीम सरकार लेकर आती है तो वह सारी चीज जम्मू कश्मीर में तभी लागू हो सकती थी जब जम्मू कश्मीर की सरकार वहां की लेजिसलेटिव असेंबली सहमति जताती थी और इसी की वजह से एक तरह से आप कह सकते हो भारत में जितने भी राज्य थे उसमें जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस था अब क्वेश्चन यह है कि आर्टिकल 370 जो की स्पेशल स्टेटस देता था जम्मू कश्मीर को इसको रेवोक क्यों किया गया मैं आपको बता दूं इसका में फैसला था बीजेपी का बीजेपी का अगर आप मेनिफेस्टो में देखोगे लंबे समय से इनफैक्ट आजादी के जस्ट बात से ही यहां पर उनका यही बार-बार कहना था कि आर्टिकल 370 सही नहीं है यहां पर किसी भी राज्य को एक अलग स्पेशल दर्जा देना नहीं चाहिए और एक तरह से आईडियोलॉजिकल पोजीशन भी थी आपको समझना है आरएसएस हो गया बीजेपी हो गया इन सब का और आपको याद भी होगा 2019 में जब होम मिनिस्टर अमित शाह जी जो बोल रहे थे आर्टिकल 370 एप अपडेट करने के लिए उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 वास हार्मफुल फॉर थे यूनिटी ऑफ द नेशन इन फैक्ट यहां पर उनका यह भी कहना था कि आर्टिकल 370 एक तरह से जो कश्मीरी कलर है उसको कन्फाइंड कर देता है इस पार्टिकुलर एरिया में यहां पर अगर हम चाहते हैं कि कश्मीरी कलर को पूरे देश भर में अच्छे से फैलाया जाए तो आर्टिकल 370 हटना चाहिए यहां पर उन्होंने नेहरू जी को भी क्रिटिसाइज किया था कि उनका जो डिसीजन था कि कश्मीर कश्मीर मुद्दे को लेकर वह यूनाइटेड नेशंस में चले गए थे इसलिए पाकिस्तान को भी मौका मिल गया और उन्होंने भी यूनाइटेड नेशंस में मुद्दा उठाया तो यह फैसला नेहरू जी का सही नहीं था इन फैक्ट रिसेंटली भी हमेशा तो पार्लियामेंट का बोल रहे थे उन्होंने कहा कि जिस तरीके से सेपरेटिज्म और टेररिज्म बड़ा है जम्मू कश्मीर में कितने वर्षों से उसका में कॉलोनी यही है तथा इस आर्टिकल 370 और था वास वन ऑफ़ द ब्लेंडर्स ऑफ़ नेहरू यह अमित शाह का कहना था यह कहना चाह रहा हूं कि आर्टिकल 370 को रिमूव करने का फैसला बीजेपी का तो और बीजेपी को जब दूसरे टर्म में 2019 में पूर्ण बहुमत आया तो उन्होंने इसका फायदा उठाते भी इसको आपको क्लिक किया क्वेश्चन यह है कि एप्रुपरिएट कैसे किया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट

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